रजौली(नवादा) प्रखंड मुख्यालय में दर्जनों जगह पर पूजा समितियों द्वारा पंडाल आकर्षक बनाने को लेकर जोर-शोर से तैयारियां चल रही है।वहीं हरदिया पंचायत में अनोखी रीति-रिवाज से काली पूजा की जाती है।हरदिया के पुजारी आचार्य पप्पू पाण्डेय ने बताया कि शारदीय नवरात्र के सप्तमी पूजा के साथ दुर्गा मंडप पंडालों में माता दुर्गा के पट खुल जाते हैं।वहीं हरदिया पंचायत में अष्टमी को मां काली का पट खुलता है।इस मौके पर गांव में मंदिर के समीप मेले का आयोजन किया जाता है।बहुत सारे श्रद्धालु नए कपड़े पहन कर दिन में ही घूमने निकलते हैं।इसमें बच्चों में अधिक उत्साह नजर आता है।श्रद्धालुओं के भीड़-भाड़ के नियंत्रण करने के लिए पुलिस एवं प्रशासन की ओर से जगह-जगह पुलिस तैनात एवं मजिस्ट्रेट तैनात किए जाते हैं।साथ ही कई पूजा समिति द्वारा पंडाल परिसर में रात्रि जागरण व धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।पुरानी बस स्टैंड के पूजा समिति द्वारा बताया गया है कि इस वर्ष बड़ा मूर्ति व पंडाल के साथ मेला लगेगा।वहीं बजरंगबली चौक पर माता रानी के मंदिर के आगे छत ढलाई का कार्य किया जा रहा है।वहीं संगत के समीप पंडाल में डिजिटल तकनीक का उपयोग करते हुए मूर्तियों द्वारा शो करने की बात कही जा रही है।वहीं हरदिया के मंदिर परिसर में बीते वर्षों की तुलना में अधिक दुकानें भी लगाई जाने की बात कही जा रही है।प्रखण्ड मुख्यालय के बजरंगबली चौक मंदिर,राजशिवाला व संगत के समीप मां दुर्गा पंडाल सहित प्रखण्ड के अन्य जगहों पर अष्टमी, नौवीं एवं दशमी को श्रद्धालुगण श्रद्धा भाव बनाकर मांं दुर्गा एवं मां काली के दर्शन करने जाते हैं।प्रखंड में मां दुर्गा की पूजा थाना क्षेत्र के लालू मोड़,लेंगुरा, धमनी,राज शिवाला, हरदिया, बजरंगबली चौक रजौली, संगत मोड़, राज शिवाला नीचे बाजार रजौली, महादेव मोड़, करीगांव, अमावां, अंधरवारी, दिबौर, तारगिर एवं पुरानी बस स्टैंड में मां काली पूजा को लेकर मूर्ति एवं पंडाल का निर्माण किया जा रहा है।मां दुर्गा पूजा को लेकर प्रखंड क्षेत्र के बीच बाजार स्थित राज शिव मंदिर दुर्गा पूजा मंदिर के अलावे अमावां गांव स्थित मां दुर्गा पूजा समिति द्वारा धूमधाम से मनाई जाएगी।हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रद्धालुगण पूरे भक्ति भाव से दर्शन कर एवं पूजा अर्चना कर अपनी मिन्नतों को माता के समक्ष रखते हैं।हरदिया गांव के अमरजीत सिंह,दीनदयाल यादव,जानकी यादव ,अशोक सिंह आदि ने बताया कि यहां बीते कई सौ वर्ष से पहले ही पूजा-अर्चना की जाती रही है।मान्यता है कि जो श्रद्धालु अपने भक्ति भाव से माता रानी के समक्ष अपनी मन्नतें रखते हैं।उनकी मन्नतें मां पूरी करती आ रही है।इस मंदिर का निर्माण रजौली क्षेत्र के सिंगर स्टेट के राजा जय मंगल सिंह राजगढ़िया ने मंदिर का निर्माण किया था।उनके समय काल में उनकी पत्नी को पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रही थी जिसके कारण मां काली की मंदिर स्थापित कर पूजा-अर्चना शुरू की।जिसके बाद उनके घर में बच्चे की किलकारी सुनाई दी थी। जिसके बाद से ही हरदिया में श्रद्धालु अपने श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना शुरू कर दी थी।जो परंपरा आज तक चलता रहा है।बताते चलें कि सन 1966 में कोरोना की तरह ही एक भयंकर बीमारी हैजा कोलरा नामक बिमारी ने जोर पकड़ा था।जिससे दर्जनों लोगों ने अपनी जान गवां दी थी।लेकिन ग्रामीणों ने मां काली का पूजा-अर्चना कर जब मन्नत मांगी गई थी।तब जाकर भयंकर बीमारी से लोगों को छुटकारा मिल सका था।जिससे मां काली का मंदिर की महिमा और बढ़ गई।इसलिए यहां दूर-दूर से लोग मां काली की प्रतिमा को देखने आते रहे हैं।साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि जमींदारी के समय मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए लगभग दर्जनों ब्राह्मण होते थे। परंतु वर्तमान में तीन ब्राह्मणों के द्वारा पूजा अर्चना का कार्य किया जा रहा है।नवरात्र के दिनों में यहां आस्था का जनसैलाब उमड़ता है।