रजौली
थाना क्षेत्र के हरदिया पंचायत में फुलवरिया जलाशय से विस्थापित लोगों के आशियाना को कोर्ट के निर्देशानुसार प्रशासनिक महकमा के द्वारा बुलडोजर चलाकर दूसरे दिन सेक्टर ए,बी,सी व डी में तोड़ा जा रहा है।जिसमें दंडाधिकारी के रूप में अंचलाधिकारी अनिल प्रसाद एवं थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर दरबारी चौधरी के अलावे सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता अभिषेक कुमार मौजूद रहे।सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता ने बताया कि 2013 में कोर्ट परिवाद के फैसले के अनुसार अतिक्रमणकारियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है।उन्होंने बताया कि इन लोगों को फुलवरिया जलाशय से विस्थापित होने के बाद पुनर्वासित कराने के लिए सिंचाई विभाग की जमीन आवंटित कर दी गई थी।लेकिन ये लोग मिले हुए जमीनों पर न रहकर कहीं और अतिक्रमण कर अपने आशियाना बना लिए थे।जिसके विरुद्ध हरदिया के ही कृष्णा चंदेल के द्वारा कोर्ट में परिवाद दायर किया गया था।जिसके बाद कई बार इन्हें अंचल कार्यालय से जगह खाली करने के लिए नोटिस भेजे गये।लेकिन ये जगह खाली करने के बजाए कानों में तेल डालकर सोये हुए रहे।खाली करने के लिए अंतिम तिथि 10 अक्टूबर दिया गया था।नोटिस का मान नहीं रखने के कारण कोर्ट के फैसला अनुसार बल प्रयोग कर अतिक्रमणकारियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है।इसमें कुल 125 लोगों की निर्मित मकान को तोड़ा जाना है। जोकी सरकार की जमीन पर कब्जा कर अवैध रूप से रह रहे हैं।अंचलाधिकारी अनिल प्रसाद ने बताया कि प्रथम दिन सेक्टर बी स्थित स्वास्थ्य केंद्र के पुराने क्वार्टर में अवैध रूप से कब्जा जमाए हुए 10 परिवारों को हटाया गया था।साथ हीं साथ वहां अवैध रूप से बनाए गए मिट्टी व पक्के घरों को तोड़ा गया था। इसके अलावा दूसरे दिन भी सेक्टर बी एवं सी के पांच लोगों के मकान को तोड़ा गया।इनमें बलदेव राजवंशी, महताब अली, जमाल मियां, गफ्फार राजवंशी, तथा गुड्डू राजवंशी के मकान शामिल हैं।यह अभियान लगातार जारी रहेगा।जब तक कोर्ट के द्वारा जारी किए गए सूची के अनुसार अतिक्रमण को हटा न दिया जाए।
बुलडोजर चलने के बाद बेघर हुए प्रसव पीड़िता बच्चे के साथ पेड़ के नीचे रहने को है मजबूर
प्रशासनिक महकमा के द्वारा बुलडोजर चलाने के उपरांत बेघर हुए गरीब परिवार के लोग अपने दूध मुंहे बच्चों के साथ पेड़ व सड़क के किनारे रहने को मजबूर हैं।इनमें कई ऐसे लोग हैं जिनके दो दिन पहले प्रसव हुआ है।इनमें प्रसव पीड़िता सरीता देवी एवं अजय राजवंशी की पत्नी पूनम देवी का कहना है कि हम लोगों का घर मिट्टी का था।जिसमें अपना सर छुपा रहे थे, लेकिन उसे भी पुलिस प्रशासन के द्वारा तोड़ दिया गया।महिला ने कहा कि हम लोगों को अब तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है।अगर आवास योजना का लाभ मिल जाता तो आज हमारा भी घर होता।बच्चों के सर के ऊपर छत नहीं उजड़ा होता।अभियान में दूध मुहें बच्चों के साथ पूरे परिवार बेघर होकर पेड़ के नीचे रहे हैं।इस कारण न तो उन्हें खाना नसीब हो रहा है और ना हीं पानी।ठंड व शीत के कारण पूरी रात बच्चे सोये तक नहीं हैं।डर है कि कहीं बेघर होने के बाद कहीं बच्चे बिमार न पड़ जाए।
अतिक्रमण मुक्त अभियान में बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़
बुलडोजर से सिर्फ अतिक्रमणकारियों के मकान ही नहीं तोड़ा जा रहा है।बल्कि उनके बच्चों के भविष्य को भी तोड़ा जा रहा है।मैट्रिक में पढ़ रही छात्रा सुनीता कुमारी ने कहा कि वह आगे पढ़ना चाहते थी।लेकिन सरकारी महकमा के द्वारा बुलडोजर चला के मकान ध्वस्त कर दिया गया।जिससे उसका भविष्य पर भी बुलडोजर चल गया है।युवती ने कहा कि सर के ऊपर छत नहीं है तो पढ़ाई कहां से होगी।युवती ने कहा कि हम लोग जान जोखिम में डालकर पेड़ के नीचे रात गुजारने पर मजबूर हो गए हैं।ईटों के सहारे हमारे परिजन खुले खेत में खाना बना रहे हैं।मैं चाहती थी कि मैट्रिक पास होने के बाद भी आगे पढ़ाई जारी रखूंगी।लेकिन घर नहीं रहने के कारण ट्यूशन एवं स्कूल छुट गए हैं।पीने के लिए पानी,शौच एवं स्नान करने की जगह भी नहीं है।ऐसे में हम लोगों का जीवन यापन कैसे होगा।इस बात पर सरकार विचार करे।
रसूखदारों के मकानों पर नहीं चल रहा है बुलडोजर,गरीब तबके के लोगों को किया जा रहा है बेघर
हरदिया पंचायत के सेक्टर सी के पिड़ीत बलदेव राजवंशी, महताब अली, जमाल मियां, गुड्डू चौधरी,गफ्फार राजवंशी का कहना है कि रसूखदारों के मकानों पर न तो बुलडोजर चलाया जा रहा है ना ही उन्हें नोटिस भेजी गई है।सिर्फ यहां गरीब परिवारों के मकानों को तोड़ कर बेघर किया जा रहा है। जो की मेहनत मजदूरी कर अपना व अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं।प्रत्येक दिन मजदूरी कर आते हैं तो शाम को घर का चूल्हा जलता है।ऐसे में टूटे हुए घर को कैसे बनाया जाएगा।यह गरीबों के सामने विकट समस्या उत्पन्न हो गई है।वहीं रसूखदारों के मकानों को प्रशासनिक मोकाम छूने को तैयार नहीं है।जबकि सैकड़ों मकान सिंचाई विभाग की जमीन को कब्जा कर अवैध तरीके से बनाया गया है।बावजूद इनकी मकान को पुलिस प्रशासन छूने को तैयार नहीं है।प्रशासनिक महकमा का यह दोहरी नीति गरीबों के समझ से परे है।गरीब सड़क पर आंदोलन करने की तैयारी में जुट गए हैं।