पटना। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने एक बार फिर अपनी सादगी की मिसाल पेश की। वह बुधवार को तीन दिवसीय बिहार दौरे पर पटना पहुंची। यहां ज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में उन्होंने बिहार के चौथे कृषि रोड मैप का लोकार्पण किया। इस अवसर पर आचार-व्यवहार से लेकर परिधान और अपने संबोधन से लेकर पूरे कार्यक्रम में अपनी सादगी से लोगों को प्रेरित किया।
उन्होंने बिना किसी लाग लपेट के कहा कि वह किसान की बेटी हैं और जब वह राष्ट्रपति पद से रिटायर होंगी, तो अपने गांव जाकर खेती करेंगी। एक किसान बनेंगी। उनकी इस बात ने जहां किसानों का मनोबल ऊंचा किया, वहीं खेती-किसानी को लेकर एक बड़ा संदेश भी गया।
सभागार में मौजूद किसानों ने उनकी इस बात पर तालियां बजा कर खुशी का इजहार भी किया।
मूल रूप से ओड़िशा की निवासी द्रौपदी मुर्मु ने कार्यक्रम में हिन्दी में सादगीपूर्ण भाषण दिया।
साथ ही संबोधन में आसान, सहज व सरल शब्दों का प्रयोग किया, ताकि सभागार में मौजूद किसानों तक सीधे अपनी बात पहुंचा सकें। दरअसल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के जीवन का बड़ा हिस्सा ओडिशा जिले के मयूरभंज जिले के एक छोटे
से गांव बैदापोसी में बीता है। उन्होंने किसानों के संघर्षपूर्ण जीवन को नजदीक से महसूस किया है। उनके पिता विरंचि नारायण टुडू उपरखेड़ा के प्रधान रहे थे। एक शिक्षक से भारत के राष्ट्रपति बनने तक की यात्रा के दौरान द्रौपदी मुर्मु ने जिन संघर्षो को झेला, उससे उपजी सादगी और शालीनता कृषि रोड मैप के लोकार्पण समारोह में उनके भाषणों के दौरान भी दिखी। उन्होंने खेती- किसानी और गांव से अपने लगाव को दर्शाते हुए खुद को किसान की बेटी भी बताया।